क्यों इतना बेबस हूँ मैं
शायद कोई और रूप है मेरा
क्या पता ये दर्द है उसका
जिसने मेरा दिल है तोड़ा
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ में
जो करा सब उल्टा होया
लगता यह कारण है उसका
जो भी मैंने कल था खोया
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ मैं
मैंने तो एक सच बोला था
ना जाने क्यों तूफान था आया
और सबने मझसे मुंह है मोड़ा
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ में
मैंने तो एक लिबास ही समझ था
पर वही था उनको पसंद न आया
ग़रीब फि र हमें समझा था
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ मैं
फिर खुली आँख नींद से मेरी
कहा खुद ने तू कब समझेगा
इतनी छोटी न जिंदगी है तेरी
शायद अब न बेबस हूँ।।।।।।
राफ़े क़ादरी
शायद कोई और रूप है मेरा
क्या पता ये दर्द है उसका
जिसने मेरा दिल है तोड़ा
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ में
जो करा सब उल्टा होया
लगता यह कारण है उसका
जो भी मैंने कल था खोया
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ मैं
मैंने तो एक सच बोला था
ना जाने क्यों तूफान था आया
और सबने मझसे मुंह है मोड़ा
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ में
मैंने तो एक लिबास ही समझ था
पर वही था उनको पसंद न आया
ग़रीब फि र हमें समझा था
आह यूँ इतना बेबस हूँ मैं
क्यों इतना बेबस हूँ मैं
फिर खुली आँख नींद से मेरी
कहा खुद ने तू कब समझेगा
इतनी छोटी न जिंदगी है तेरी
शायद अब न बेबस हूँ।।।।।।
राफ़े क़ादरी
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