Tuesday, 19 April 2016

ज़िन्दगी

राधा एक बोहोत ही होशियार लड़की है। एक बार उसका रेगिस्तान जाना हुआ। उसे पियास लगी और उसने रेगिस्तान में पानी तलाशना शुरू किया। बोहोत देर तलाशने के बाद उसे एक पानी वाला नज़र आया। वह उस पानी वाले की तरफ दौड़ी पर पानी वाला उसे न देख सका। उसका ध्यान और लोगों को पानी पिलाने में था। लेकिन जैसे ही उसे पता चला तो वह राधा की तरफ दौड़ा लेकिन तब तक राधा को पानी दूसरे पानीवाले से मिल चुका था। अब राधा रेगिस्तान से चली गयी है और अपनी ज़िन्दगी में मगन है। शायद उसको पानीवाले के बारे में याद ही न हो।
लेकिन वह पानीवाला तब से अब तक मायूस है और इसी सोच में जी रहा है के उसने राधा को पानी नहीं पिलाया। वह अभी तक राधा के इंतज़ार में खड़ा है के राधा पानी पीने रेगिस्तान वापस आएगी। वह सोचता है के राधा को सिर्फ उसी की ज़रूरत थी।
लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं है।पानीवाले को अपनी सोच बदलनी होगी। उसे मानना पड़ेगा के राधा की ज़रूरत पूरी हो चुकी है। राधा को उसकी ज़रूरत कभी थी ही नहीं उसे सिर्फ पानी चाहिए था और वह उसे मिल गया। पानीवाला अगर अपनी सारी ज़िन्दगी राधा के इंतज़ार में ख़त्म करदे तो यह उसकी भूल होगी।


ज़िन्दगी ऐसे ही चलती है।  हमें अपना ध्यान लोगों को पानी पिलाने में रखना है। हम राधा की वजह से और लोगों को प्यासा नहीं रहने दे सकते। यही ज़िन्दगी जीने की सही राह है।


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More on Venn Diagrams for Regression Volume 10 | Number 1 | May 2002 p.1-10                                                     Pete...